Friday 18 February 2011

कालिया नाग की पत्नियां कृष्णा से बोली..

कालिया नाग की पत्नियां कृष्णा से बोली..
कालिया नाग के एक सौ एक सिर थे। वह अपने जिस शरीर को नहीं झुकाता था, उसी को प्रचण्ड दण्डधारी भगवान् अपने पैरों की चोट से कुचल डालते। इससे कालिया नाग की जीवनशक्ति क्षीण हो चली, वह मुंह और नथुनों से खून उगलने लगा। अन्त में चक्कर काटते-काटते वह बेहोश हो गया। अपने पति की यह दशा देखकर उसकी पत्नियां भगवान् की शरण में आयीं। और बोली अपराध सह लेना चाहिए। यह मूढ है, आपको पहचानता नहीं है, इसलिए इसे क्षमा कर दीजिए। भगवन् कृपा कीजिए, अब यह सर्प मरने ही वाला है। नागपत्नियों की याचना से भगवान पिघल गए। कालिया को मृत्युदण्ड देने का इरादा त्याग दिया।
भगवान के प्रहारों से आहत कालिया का दंभ भी टूट चुका था। धीरे-धीरे कालिया नाग की इन्द्रियों और प्राणों में कुछ-कुछ चेतना आ गई। वह बड़ी कठिनता से श्वास लेने लगा और थोड़ी देर के बाद बड़ी दीनता से हाथ जोड़कर भगवान् श्रीकृष्ण से इस प्रकार बोला-हम जन्म से ही तमोगुणी और बहुत दिनों के बाद भी बदला लेने वाले-बड़े क्रोधी जीव हैं। जीवों के लिए अपना स्वभाव छोड़ देना बहुत कठिन है। इसी के कारण संसार के लोग नाना प्रकार के दुराग्रहों में फंस जाते हैं। आप सर्वज्ञ और सम्पूर्ण जगत् के स्वामी हैं। आप ही हमारे स्वभाव और इस माया के कारण हैं। अब आप अपनी इच्छा से-जैसा ठीक समझें-कृपा कीजिए या दण्ड दीजिए।

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