ब्रज छोड़कर वृंदावन आकर क्यों बसे ब्रजवासी?
जब नंदबाबा आदि बड़े-बूढ़े गोपों ने देखा कि ब्रज में तो बड़े-बड़े उत्पात होने लगे हैं। तब उन्होंने मिलकर यह विचार किया कि ब्रजवासियों को कहीं दूसरे स्थान पर जाकर रहना चाहिए। ब्रज के एक गोप का नाम था उपनन्द। उन्हें इस बात का पता था कि किस समय किस स्थान पर रहना उचित होगा। उन्होंने कहा-भाइयों। अब यहां ऐसे बड़े-बड़े उत्पात होने लगे हैं, जो बच्चों के लिए तो बहुत ही अनिष्टकारी हैं।
इसलिए हमें यहां से अपना घरबार समेट कर अन्यत्र चलना चाहिए। देखो यह सामने बैठा हुआ नंदराय का लाड़ला श्रीकृष्ण है, सबसे पहले यह हत्यारी पूतना के चंगुल से छूटा। इसके बाद भगवान की दूसरी कृपा से इसके ऊपर इतना बड़ा छकड़ा गिरते-गिरते बचा। बवंडर रूपधारी दैत्य तो इसे आकाश में ले गया था लेकिन वह भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ सका। तब भी भगवान ने ही इस बालक की रक्षा की। यमलार्जुन वृक्षों के गिरने के समय उनके बीच में आकर भी इसे कुछ नहीं हुआ। यह भी ईश्वरीय चमत्कार था।
इससे पहले कि अब कोई और खतरा यहां आए हमें अपने बच्चों को लेकर अनुचरों के साथ यहां से अन्यत्र चले जाना चाहिए। यहां से कुछ दूर वृन्दावन नाम का एक वन है। वह पूर्णत: हरियाली से आच्छादित है। हमारे पशुओं के लिए तो वह बहुत ही हितकारी है। गोप, गोपी और गायों के लिए वह केवल सुविधा का ही नहीं, सेवन करने योग्य स्थान भी है। सो यदि तुम सब लोगों को यह बात जंचती हो तो आज ही हम लोग वहां के लिए कूच कर दें। उपनन्द की बात सुनकर सभी ने हां कह दी और सभी आवश्यक वस्तुएं व अपना गौधन लेकर वृंदावन में आकर बस गए।
इसलिए हमें यहां से अपना घरबार समेट कर अन्यत्र चलना चाहिए। देखो यह सामने बैठा हुआ नंदराय का लाड़ला श्रीकृष्ण है, सबसे पहले यह हत्यारी पूतना के चंगुल से छूटा। इसके बाद भगवान की दूसरी कृपा से इसके ऊपर इतना बड़ा छकड़ा गिरते-गिरते बचा। बवंडर रूपधारी दैत्य तो इसे आकाश में ले गया था लेकिन वह भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ सका। तब भी भगवान ने ही इस बालक की रक्षा की। यमलार्जुन वृक्षों के गिरने के समय उनके बीच में आकर भी इसे कुछ नहीं हुआ। यह भी ईश्वरीय चमत्कार था।
इससे पहले कि अब कोई और खतरा यहां आए हमें अपने बच्चों को लेकर अनुचरों के साथ यहां से अन्यत्र चले जाना चाहिए। यहां से कुछ दूर वृन्दावन नाम का एक वन है। वह पूर्णत: हरियाली से आच्छादित है। हमारे पशुओं के लिए तो वह बहुत ही हितकारी है। गोप, गोपी और गायों के लिए वह केवल सुविधा का ही नहीं, सेवन करने योग्य स्थान भी है। सो यदि तुम सब लोगों को यह बात जंचती हो तो आज ही हम लोग वहां के लिए कूच कर दें। उपनन्द की बात सुनकर सभी ने हां कह दी और सभी आवश्यक वस्तुएं व अपना गौधन लेकर वृंदावन में आकर बस गए।
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